ब्रिटिश शासन (British Shasan) - भारत में ब्रिटिश शासन

British Shasan

ब्रिटिश शासन

भारत के इतिहास में ब्रिटिश शासन एक अहम कड़ी है। ब्रिटिश शासन या ब्रिटानी राज गोवा और पुदुचेरी जैसे अपवादों को छोड़कर वर्तमान समय के लगभग सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैला हुआ था। विभिन्न समयों पर इसमें अदन (1858 से 1937 तक), निचले बर्मा (1858 से 1937 तक), ऊपरी बर्मा (1886 से 1937 तक), ब्रितानी सोमालीलैण्ड (1884 से 1898 तक) और सिंगापुर (1858 से 1867 तक) को भी शामिल किया जाता है।

बर्मा को भारत से अलग करके 1937 से 1948 में इसकी स्वतंत्रता तक ब्रिटिश शासन के अधिन सीधे ही शासित किया जाता था। फारस की खाड़ी के त्रुशल स्टेट्स को भी 1946 तक सैद्धान्तिक रूप से ब्रिटिश भारत की रियासत माना जाता था और वहाँ मुद्रा के रूप में रुपया काम में लिया जाता था।

क्लाइव

भारत में ब्रिटिश शासन की नींव क्लाइव के द्वारा डाली गई। वह भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रतिनिधि था। क्लाइव ने सन् 1757 में प्लासी की लड़ाई में सिराजुद्दौला को पराजित किया। 1765 में उसने बंगाल, बिहार व उड़ीसा में बंगाल के नवाब से दीवानी अधिकार प्राप्त कर लिए थे ताकि कम्पनी लगान वसूल कर सके तथा न्याय का प्रशासन कर सके।

वारेन हेस्टिग्स (1772-1785)

वारेन हेस्टिग्स 1772 में बंगाल का गवर्नर बना तथा रेग्यूलेटिंग एक्ट (1773) के बिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित कर देने के बाद गवर्नर जनरल बनाया गया। उसने अनेक प्रशासनिक सुधार किये, लगान प्रशासन ठीक किया।

लार्ड कार्नवालिस (1786-1793)

यह बंगाल, बिहार, उड़ीसा के स्थायी भूमि बंदोबस्त (1793) के लिए विख्यात है। इसी के काल में मैसूर का तीसरा युद्ध हुआ था जिसमें टीपू सुल्तान की पराजय हुई थी।

लार्ड वेलेजली (1798-1805)

लार्ड वेलेजली ने 'सहायक सन्धि' के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया।

लार्ड विलियम बैंटिक (1828-1835)

सती प्रथा का अन्त हुआ तथा ठगी प्रथा को दबाया गया। अग्रेजी को शिक्षा का माध्यम स्वीकार किया गया।

लार्ड डलहौजी (1848-1856)

लार्ड डलहौजी ने 'हड़प नीति' (Doctrine of Lapes) को जन्म दिया। जिसके द्वारा उसने सतारा, झाँसी, नागपुर और सम्भलपुर की रियासतों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। .

लार्ड कैनिंग (1856-1882)

भारत का अन्तिम गवर्नर जनरल था। इसके समय की मुख्य घटना 1857 का भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम हुआ था। नवम्बर 1868 ई. को कम्पनी के शासन का अन्त हुआ और भारत का प्रबंध सीधा ब्रिटेन की रानी के नियन्त्रण में आ गया।

भारतीय इतिहास

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