भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन, 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम - सैनिक विद्रोह

Swatantrata Sangram

स्वतन्त्रता संग्राम (भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन) - 1857

भारत के इतिहास में 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम अंग्रेजों ने इसे गदर तथा सैनिक विद्रोह के नाम से भी पुकारा है। परन्तु वास्तव में यह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष था। बैरकपुर (बंगाल) में मंगल पाण्डे नामक सैनिक ने एक अग्रेज अफसर की 29 मार्च, 1857 को हत्या कर दी, परिणामस्वरूप उसे फाँसी दे दी गयी।

फाँसी के विरुद्ध मेरठ छावनी के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और सैनिकों ने चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया। शीघ्र ही विद्रोह उत्तर भारत में फैल गया। नाना साहब ने कानपुर पर कब्जा किया। झाँसी की रानी, अजीमुल्ला खाँ, बेगम हजरत महल, तात्या टोपे तथा कुँवर सिंह आदि ने भी विद्रोह में भाग लिया परन्तु विद्रोह कुचल डाला गया। इसकी असफलता का मुख्य कारण था-संगठन तथा एकता की कमी।

1857 के विद्रोह के प्रमुख केन्द्रों का नेतृत्व

1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान विभिन्न स्थानों पर अलग अलग नेताओं ने अपने स्तर पर भाग लिया, इस स्वतंत्रता संग्राम के असफल होने के कारणों में एक कारण यह भी है। इन नेताओं में केंद्रीय नेतृत्व की कमी थी। इस टेबल के माध्यम से स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने बाले नेताओं एवं उनके केंद्र तथा विद्रोह को दवाने बाले अंग्रेज जनरल के बारे में बताया है -
केन्द्र भारतीय नेता अंग्रेज जनरल
दिल्ली बहादुर शाह जफर (प्रमुख नेतृत्व) बख्त खाँ (सैनिक नेतृत्व) कैप्टेन हडसन
कानपुर नाना साहब जनरल हैवलॉक
फ़तेहपुर अजीमुल्ला रेमर्ड एवं सर कैम्प वेल
लखनऊ बेगम हजरत महल जनरल हैवलॉक व आउट्रम
इलाहाबाद लियाकत अली जनरल नील
झाँसी रानी लक्ष्मीबाई जनरल यूरोज
ग्वालियर तात्या टोपे जनरल ड्रोज
जगदीशपुर (बिहार) कुँवर सिंह जनरल वेन विल/ हेमिल्टन एवं जनरल ली ग्रांट

भारतीय इतिहास

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