इतिहास के धार्मिक एवं सामाजिक आन्दोलन, संगठन

भारतीय इतिहास में आजादी की लड़ाई में कई धार्मिक एवं गैर धार्मिक संगठन, आंदोलन और संस्थाएँ बनी और समाप्त हो गई। इन संगठनों एवं सामाजिक आन्दोलनों ने भारत को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। ऐसे ही कुछ प्रमुख धार्मिक एवं सामाजिक आन्दोलन एवं संगठनों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
Dharmik Samajik Andolan Evam Sangathan

ब्रह्म समाज

सन् 1828 ई. में कोलकाता में राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना की गई। इसके प्रमुख उद्देश्यों में मूर्तिपूजा का खण्डन, विधवा विवाह एवं स्त्रियों की शिक्षा को प्रोत्साहन तथा बहु-विवाह, बाल-विवाह, सती प्रथा का विरोधी थे।

आर्य समाज

सन् 1875 में मुम्बई में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। इनके उद्देश्यों में मूर्ति पूजा का विरोध, वैदिक संस्कृति और यज्ञों पर जोर, विधवा विवाह का समर्थन तथा बाल-विवाह का विरोध प्रमुख थे। 'सत्यार्थ प्रकाश' इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 'वेदों की ओर लौटो' का नारा दिया।

रामकृष्ण मिशन

सन् 1896 में स्वामी विवेकानन्द ने कोलकाता के समीप वैलूर में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

इण्डियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 ई. में एक रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी ए. ओ. ह्यूम ने की। कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 'मुम्बई' में दिसम्बर 1885 को व्योमेशचन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में हुआ।

होमरूल आन्दोलन (1915)

ऐनी बेसेण्ट ने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर यह आन्दोलन चलाया। इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीयों को स्वयं अपना शासन सौंपना था।

असहयोग आन्दोलन (1920-1922)

असहयोग आन्दोलन महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया था। लेकिन 6 फरवरी, 1922 के आरम्भ में चौरी-चौरा (गोरखपुर) हत्याकाण्ड के बाद गाँधीजी द्वारा आन्दोलन वापस ले लिया गया।

खिलाफत आन्दोलन (1920)

खिलाफत आन्दोलन शौकत अलीमौहम्मद अली ने टर्की के खलीफा के विरुद्ध ब्रिटिश व्यवहार के कारण चलाया। कांग्रेस का पूर्ण समर्थन तथा असहयोग आन्दोलन के साथ-साथ इस आन्दोलन का चलना महत्त्वपूर्ण था। यह आन्दोलन हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था।

स्वराज्य दल (1923)

स्वराज्य दल की स्थापना मोतीलाल नेहरूचितरंजनदास ने की। इसका उद्देश्य लेजिस्लेटिव काउंसिलों में जाकर ब्रिटिश शासन का विरोध करना था।

साइमन कमीशन (1927)

साइमन कमीशन की स्थापना 1927 ई. में की गई। साइमन कमीशन 1928 ई. में भारत आया लेकिन इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था, इसलिए इसका विरोध हुआ। लाहौर में लाठी चार्ज से लाला लाजपतराय की मृत्यु हुई।

नेहरू रिपोर्ट

साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर लार्ड वर्कन हेड ने भारतीयों को संविधान बनाने की चुनौती दी। भारतीय नेताओं ने इस चुनौती को स्वीकार करते हए 19 मई, 1928 को बम्बई में हए सर्वदलीय बैठक में पं. मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का आधार निश्चित करने के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति ने 10 अगस्त 1920 की अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसे नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (1930-32)

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ 12 मार्च, 1981 में गाँधीजी द्वारा साबरमती आश्रम से डाण्डी समुद्र तट की लगभग 200 मील की यात्रा से ही हुआ।

नमक कानून को भंग किया। मार्च, 1931 में गाँधी-इरविन समझौता हुआ, गाँधीजी ने आन्दोलन स्थगित कर दिया, सितम्बर 1931 में लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।

पूना पैक्ट (1932)

मैकडोनाल्ड के साम्प्रदायिक अवार्ड जिसमें हिन्दुओं और हरिजनों में फूट डालने का प्रयास किया गया था। इसके विरोध में गाँधीजी द्वारा आमरण अनशन किया गया। नेताओं की मध्यस्थता से पूना पैक्ट हुआ और गाँधीजी ने आमरण अनशन तोड़ा।

भारत छोड़ो आन्दोलन (1942-44)

1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया जो असफल रहा। कांग्रेस ने भारत छोड़ो प्रस्ताव 1942 में पारित किया। 'करो या मरो' इसका मुख्य उद्देश्य था। अगस्त, 1942 को मुम्बई में इस प्रस्ताव का समर्थन किया गया। लेकिन यह आन्दोलन असफल हो गया। परन्तु इस असफल आन्दोलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब बहुत दिनों तक भारतीय स्वतन्त्रता को टाला नहीं जा सकता।

कैबिनेट योजना (1946)

भारत के संविधान हेतु एक संविधान सभा की व्यवस्था के लिए यह मिशन भारत आया।

माउण्टबेटन योजना (1947)

माउण्टबेटन योजना ने यह निष्कर्ष निकाला कि भारत की स्वतन्त्रता बिना विभाजन के सम्भव नहीं है। 18 जुलाई, 1947 में ब्रिटिश संसद ने 'भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम' पारित कर दिया। फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हो गया। भारत का भारत एवं पाकिस्तान के रूप में विभाजन हो गया।

भारतीय इतिहास

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